-
अंतःपट
Meanings: 6; in Dictionaries: 5
Type: WORD | Rank: 3.314764 | Lang: NA
-
blind
Meanings: 30; in Dictionaries: 9
Type: WORD | Rank: 0.2314178 | Lang: NA
-
covering
Meanings: 22; in Dictionaries: 11
Type: WORD | Rank: 0.2314178 | Lang: NA
-
screen
Meanings: 44; in Dictionaries: 15
Type: WORD | Rank: 0.2314178 | Lang: NA
-
अंतर्पट
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1286152 | Lang: NA
-
अन्तर्पट
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.1286152 | Lang: NA
-
अंतर्पाट
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
Type: WORD | Rank: 0.06430761 | Lang: NA
-
नवरानवरी अंतर्पटा, एकदम झाली दृष्टादृष्टी
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.05626916 | Lang: NA
-
अंतपाट
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.04823071 | Lang: NA
-
अंत्रपत
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
Type: WORD | Rank: 0.04823071 | Lang: NA
-
अन्तःपट
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.04823071 | Lang: NA
-
सदट
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
Type: WORD | Rank: 0.04019225 | Lang: NA
-
सावधान
Meanings: 19; in Dictionaries: 10
Type: WORD | Rank: 0.02009613 | Lang: NA
-
क्रीडा खंड - अध्याय ९६
श्री गणेश पुराणाचे पारायण केल्याने समाधान मिळते आणि जीवनातील सर्व पापे नष्ट होतात.
Type: PAGE | Rank: 0.0160769 | Lang: NA
-
नंदी
Meanings: 15; in Dictionaries: 6
Type: WORD | Rank: 0.0160769 | Lang: NA
-
धर्मसिंधु - प्रबोधोत्सव व तुलसीविवाह
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
Type: PAGE | Rank: 0.01421011 | Lang: NA
-
वधूवरांचे परस्परनिरीक्षण (विवाह)
विवाह संस्कार सोळा संस्कारांपैकी एक आहे. विवाह फक्त शारीरिक संबंध नसून, वंशवृद्धी हे प्रमुख कारण आहे.
The Vivaha is the most Important Samskar of all the Hindu rituals, for continuing their Vansh.
Type: PAGE | Rank: 0.01218263 | Lang: NA
-
तृतीयपरिच्छेद - द्वितीयादिविवाहाविषयीं काल
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
Type: PAGE | Rank: 0.01205768 | Lang: NA
-
प्र.के.अत्रे - अहा , उगवली आनंदाची शुभमं...
प्रल्हाद केशव अत्रे (१३ऑगस्ट १८९८ - १३ जून १९६९) हे मराठीतील नावाजलेले लेखक, कवी, नाटककार, मराठी व हिंदी चित्रपट निर्माते, चित्रपट कथाकार, चरित्र लेखक, शिक्षणतज्ञ, संपादक, पत्रकार, राजकारणी, हजरजबाबी वक्ते आणि संयुक्त महाराष्ट्राच्या चळवळीचे एक प्रमुख नेते होते.
Type: PAGE | Rank: 0.01205768 | Lang: NA
-
नंद
Meanings: 45; in Dictionaries: 7
Type: WORD | Rank: 0.009947076 | Lang: NA
-
अध्याय ५३ वा - श्लोक ५१ ते ५५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.008038451 | Lang: NA
-
अध्याय ६१ वा - श्लोक २६ ते ३०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.008038451 | Lang: NA
-
अध्याय ५८ वा - श्लोक ५१ ते ५५
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.008038451 | Lang: NA
-
अध्याय ५८ वा - श्लोक ४६ ते ५०
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.008038451 | Lang: NA
-
अध्याय ५२ वा - श्लोक ४१ ते ४४
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.008038451 | Lang: NA
-
अंतर
Meanings: 48; in Dictionaries: 8
Type: WORD | Rank: 0.008038451 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय २४
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.007105054 | Lang: NA
-
अध्याय ३२
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
Type: PAGE | Rank: 0.007033645 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक ६ - अध्याय १४
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006028838 | Lang: NA
-
श्री गणेश प्रताप - क्रीडाखंड अध्याय २८
सर्व कीर्तीने युक्त, सर्व देवाधिदेवांमध्ये श्रेष्ठ अशा अत्यंत प्रिय असलेल्या श्रीगजाननाच्या स्तुतीपर हा ग्रंथ आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006028838 | Lang: NA
-
कथाकल्पतरू - स्तबक ५ - अध्याय १८
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
Type: PAGE | Rank: 0.006028838 | Lang: NA
-
श्री वेंकटेश विजय - अध्याय १० वा
वेदव्यासांनी भविष्योत्तर पुराणात वेंकटगिरीचा महिमा सांगितला आहे. या कलियुगात जे कोणी त्यांची भक्ती करतात, त्यांच्या सर्व इच्छा पूर्ण होतात.
Type: PAGE | Rank: 0.005684043 | Lang: NA
-
अध्याय १७
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
Type: PAGE | Rank: 0.005684043 | Lang: NA
-
अध्याय ५४ वा - श्लोक ५६ ते ६१
श्रीकृष्णदयार्णवकृत हरिवरदा
Type: PAGE | Rank: 0.005221127 | Lang: NA
-
अध्याय ४७
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
Type: PAGE | Rank: 0.005024032 | Lang: NA
-
भक्त लीलामृत - अध्याय १६
महिपतिबोवांच्या वाचेला सिद्धी होती, म्हणूनच हा ग्रंथ जो भक्तिभावाने व एकाग्रतेने वाचील त्याला फलश्रुतीचा अनुभव खचितच येणार.
Type: PAGE | Rank: 0.005024032 | Lang: NA
-
कन्याविवाहकाल
ज्योतिष हा विषय वेदांइतकाच प्राचीन आहे .
Type: PAGE | Rank: 0.005024032 | Lang: NA
-
पांडवप्रताप - अध्याय ६२ वा
पांडवप्रताप ग्रंथवाचन म्हणजे चंचल मनाला भक्तियोगाकडे वळविण्याचा प्रवास.
Type: PAGE | Rank: 0.004019225 | Lang: NA
-
अध्याय २
संतकवी महीपतीबोवा ताहराबादकर विरचित
Type: PAGE | Rank: 0.004019225 | Lang: NA
-
हरिविजय - अध्याय २५
श्रीधरांसारखा भगवंताच्या भक्तिप्रेमात न्हाऊन गेलेला अजोड कवी, गोपालकृष्णाच्या अति गोड लीलांचे वर्णन करतो, तेव्हा काय बहार येते.
Type: PAGE | Rank: 0.004019225 | Lang: NA
-
भक्त लीलामृत - अध्याय १७
महिपतिबोवांच्या वाचेला सिद्धी होती, म्हणूनच हा ग्रंथ जो भक्तिभावाने व एकाग्रतेने वाचील त्याला फलश्रुतीचा अनुभव खचितच येणार.
Type: PAGE | Rank: 0.004019225 | Lang: NA
-
वेंकटेश्वर माहात्म्य - अध्याय बारावा
वेंकटेश महात्म्याचे पारायण केल्यास प्रत्यक्ष बालाजीचे दर्शन घेतल्याचा अनुभव येतो.
Type: PAGE | Rank: 0.003014419 | Lang: NA